सर्जक: महर्षि वेद व्यास
भगवद्गीता प्राचीन भारत के संस्कृत महाकाव्य महाभारत में दर्ज एक प्रसंग है। यह हिंदू धर्म में एक प्रभावशाली धार्मिक ग्रंथ है जो राजकुमार अर्जुन और हिंदू देवता विष्णु के अवतार कृष्ण के बीच संवाद का रूप लेता है।
समस्त अध्याय: 18
समस्त श्लोक: 700
धृतराष्ट्र उवाच:
|| धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ||
|| मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय || 1 ||
धृतराष्ट्र ने कहा: हे संजय, कुरूक्षेत्र के पवित्र मैदान में एकत्र होकर और युद्ध की इच्छा से मेरे पुत्रों और पांडु के पुत्रों ने क्या किया?